Haryanvi Chutkule Haryanvi Jokes

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Below are some Haryanvi Chutkule (Jokes) for our Haryanvi readers:

१. एक  बै फत्तु खेत मै रेडीओ सुनन लागरा था । रेडीओ पै एक लुगाई बतान लाग री थी के बम्बई म बाढ आगी , गुजरात म हालन आगा , और भि बहोत किमे बतान लाग री थी। ईतणॅ म फत्तु न पाछे मुड के देखा, नाका टूट रा था और पाणि दुसरे क खेत म जान लाग रा था। फत्तु न लठ ठा के  रेडीओ क मारा, बोला इतनि दुर  कि बतान लाग री थी, आडे नाका टूट रा इसके बारे म नहि बता सके थि।

२. एक  बै एक गाम का भाई दिल्लि आया पहलि बार। उसने पहलि बार दिल्लि का ट्राफिक देखा और हैरान रह गा। सान्ज न वो उल्टा गाम म चला गया। गाम म लोगा न पुछि दिल्लि किसि क थि भाई। वो बोला दिल्लि म तो  भगद्ङ माच रि स, रात तै तो दिल्लि खाली हो लेगि भाई, रात नहि तो सबेर तै पक्कि खालि हो लेगि।

३.  एक  बै एक आदमि लालच म आके पन्डित बन्ग्या, उस्ने घना बेरा कोनि था, वो तिथि बतान खातर गिन्के पत्थर मट्के मै डाल दिया करदा ओर कोइ लुगाइ पुछ्न आन्दि तो गिन्के ब्ता दिया करदा कि के तिथ से । एक बार उसके टाबरा ने मिल्के उस्के मट्के मै घने सारे पत्थर डाल दिया। एक लुगाइ पुछ्न आयि तो गिन्के ब्तान लागया, १ पत्थर गिना बोला एक्म होगि, २ पत्थर गिन्के बोल्या दुज होगि,  मट्के मै किमे घने सारे पत्थर लागे। लुगाइ पुछ्न लागि बाबा के तिथि होगि, वो फेर गिनन लागया,  १ पत्थर गिना बोला एक्म होगि, २ पत्थर गिन्के बोल्या दुज होगि, फेर वाइ बात, बोल्या बेबे तिथ का तो बेरा कोनि लागे से आज तो घपअड चोथ होगि।

४. शाम – सबेरे तेरी घणी याद आवै है। सारी रात मन्नै जगावै है।
करने को तो करूं तन्नै कॉल।
… पर कस्टमर केयर की छोरी हर बार बैलंस लो बतावै है।

५. एक  बै एक साईकल आले ने एक बुढिया म साईकल भिडा दी। बुढिया बोली “र ऊत त ईतनी बडी बडी मुछ ले रया स, शरम नही आन्दि मेरे टक्कर मारदी”। साईकल आला छोरा बोला, “क्यो ताई मुछा म के ब्रेक लाग री स”। 

६. एक बर गाम म थानेदार आग्या, उस दिन एक भाई की भेस किसे का खेत चर गी थी, घना उल्हाना आया था। उसके घर आले  थानेदार न बोले, थानेदार साब इसने डरा धमका के ब्याह खातर त्यार कर लो, यो ब्याह त घना डरे स। थानेदार न डरा धमका के वो ब्याह क मन्ड्प म बिठा दिया। जिब दुल्हन ने ब्याह क मन्ड्प मे लाये, तो छोरा बोला “ए बेबे तेरी भेस न भी किसे का खेत चर लिया था के “?

 ७. एक बर एक मारुती आले न एक ट्र्क म पाछे त टक्कर दे मारी और ट्र्क क नीचे बड ग्या। ट्र्क आला ड्रेवर खीड्की म त बोल्या, “अर भाई चुन्ग ली हो तो बार काढ ले”।

८. एक मोटा सा सेठ का छोरा दुसरे छोरे पर चढा बैठा और उसने जोर जोर त छेथन लाग रा और सेतिए जोर जोर त रोन लाग रा। एक रा चालदे आदमी न पुछी, र सेठ  छेथन तो त इसने लाग र स, फेर रोवे क्यु स, सेठ का छोरा बोल्या “मै नु रोवु सु के जिब म उठुगा फेर के होवगा”।

९. एक आदमी मन्दिर म राम की मुर्ती आगे जोर जोर त रोन लाग रा था, धोरे खडे एक ताऊ न पुछा के बात स भाई क्यो रोन लाग रा स? आदमी बोला मेरी लुगाई भाज गी। ताऊ बोला बावलीबूच इसके आगे के रोन लाग र स, इसकी तो खुद खू गी थी, हनुमान धोरे जा, वो टोके लाया था।

१०. ताई फागुन में मस्ता रही थी, घाघरी पहन कर रिहर्सल कर रही थी । छोरियां तैं बोल्ली – आज सांझ नैं मैं रींछ बण-कै दिखाऊंगी ।
ताऊ नै सुण लिया अर रूक्का मार कै बोल्या – रींछ क्यूं, तू भैंस क्यूं ना बण ज्याती, दो सेर डोक्के तै दे देगी !!

११. एक बर घुशु का बाबु उस ने छोरी दीखान ले ग्या | माडी वार पाछे उनके घरके बोले अक छोरा छोरी ने आपस में बत्लानं दयो |
घुशु —-(खंगार के ने ) आँ बेबे ,तम क भाई भाण सो ?
छोरी — इब्ब ताहीं ते एक भाई अर एक भाण थे ,पर इब्ब तेरे आयें पाछे दो भाई हो गे |

१२. ताऊ जिले सिह – डाक्टर साब मने सुन राखा से त दारु छुड्वा दे स।
डाक्टर – हा, गारन्टी के साथ।
ताऊ जिले सिह – म्हारी ३ पेटी दारु हरीयाणा पुलिस न मार राखी स, वा छुड्वा दे।

१३. एक ब सुंडू सरड़क के बीचो बीच चाल्या जान लग रह्या था , पाछे त एक कार आई ,अर कार आले न होर्न मारया , सुंडू न ध्यान कोणी दिया , कार आले न रुक्का मार्या ” र तले न मरले न ” , सुंडू न पाछे मुड के देख्या आर बोल्या ”के बात या सरडक के तेरे बाबु की स” , कार आल्या बोल्या ”हा स”, सुंडू बोल्या ” तो फेर अपने बाबु न कहके थोडी चोडी करवाले सुंडू तो न्यू ए चालेंगा”

१४. सुंडू सवारी ढोण खातर नया टेम्पू लाया । उसनै दिन-रात टैंपू ए टैंपू दीखण लाग-गे । एक रात न वो नींद म बोलण लाग-ग्या : आ ज्याओ भाई आ ज्याओ, टैंपू चाल्लै सै, तोले से आ-ज्याओ,,, या बात सुण कै उसकी बहू बोली: “के बात हो-गी जी, आज न्यूं क्यूकर बोलो सो?” सुंडू नींद मैं ए बोल्या : कड़े जावैगी बेबे ? या सारी बात सुंडू का बाबू भी सुणन लाग रहया था, वो बोल्या : र ठणोई, के कहवे सै बहू नै ? सुंडू नींद में-ऐं बोल्या: “ताऊ, घना ना बोले,,, तू पाछे नै लटक ले” !

१५. रलदू नै चोरी करण की कसूती आदत थी। एक दिन वो चोरी करदा पकड़या ग्या। थाणेदार सिपाही से बोल्या –इसकै सौ जूत मार आप्पे सीधा हो जेगा। सिपाही उसती हवालात म्ह जूत मारण खातर लेग्या तो रलदू उसती सौ का नोट दिखाकै बोल्या – किम्मे हो नी सकदा। सिपाही सौ का नोट गोज म्ह घाल कै बोल्या – मैं कांध कै जूत मारूँगा अर तूँ किलकी मारै जाइये। रलदू नै एक सौ का नोट और जेब तै काढ्या अर बोल्या – लै किलकी बी तूँ ए मार दिए मन्नै जाण दे।

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